कवि
बिहारी जी के कुछ दोहे
प्रगट भए द्विजराज – कुल सुबस बसे ब्रज आइ ।
मेरे हरौ कलेस सब , केसव केसवराइ।।
भावार्थ - इन पंक्तियों में बिहारी श्रीकृष्ण से कह रहे हैं कि आप चन्द्रवंश में पैदा हुए तथा अपनी इच्छा से ब्रज आये। आप मेरे पिता के समान हैं। आप मेरे सारे कष्टों को दूर करें।
सतसइया के दोहरा ज्यों नावक के तीर ।
देखन में छोटे लगैं घाव करैं गम्भीर ।।
अर्थात – सतसई के दोहे वैसे हीं हैं, जैसे नावक के तीर है. ये देखने में छोटे लगते हैं, लेकिन इनमें बड़ी अर्थपूर्ण बातें छिपी होती हैl
कवि
बिहारी जी के 10 दोहे हिंदी अर्थ सहित पढने के लिए उपरोक्त विडियो देखें l
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