रामसुखदासजी सुविचार 1


🚩एकांत में रहते हुए,

🚩 गंगा स्नान करते हुए,

🚩 भगवान का पूजन करते हुए,

🚩श्री तुलसी कि परिक्रमा करते हुए

🚩श्री हरि के चिन्तन में भी समय व्यतीत करें l




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जैसे बच्चा खेलते खेलते माँ को भूल भी जाए पर माँ कभी बच्चे को नही भूलती

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ऐसे ही उस परमात्मा का प्रेम तो माता से कहीं अधिक है, तो मैं क्यों चिंता करूँ भगवान स्वयम मेरा भार उठाएंगे l

गीतामें सैकड़ों ऐसे श्लोक हैं जिनमें से एक को भी पूर्णतया धारण करनेसे मनुष्य मुक्त हो जाता है, फिर सम्पूर्ण गीताकी तो बात ही क्या है
जबतक अपनी इच्छा रखोगे, तबतक संसार आदर नहीं करेगा।




🔔अपनी इच्छा छोड़ कर व्यवहार करो।"-

🚩श्रद्धेय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज🚩
🔔"स्वार्थ के कारण खुद खाने में आनंद आता है।

🔔 स्वार्थ न हो तो दूसरों को खिलाने में आनंद आता है।"-

🚩श्रद्धेय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज🚩

🔔जहाँ राग-द्वेष,
हर्ष-शोक,
अच्छा-मंदा,
अनुकूल-प्रतिकूल आदि दो चीजें रहती हैं, वह संसार है।

🔔दो चीजें मिटकर एक समता हो जाए तो वह परमात्मा है।"-
🚩श्रद्धेय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज🚩




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