गीताप्रेस सुविचार भाग 3

भगवान श्रीरामके चरित्र बड़े अलौकिक थे l इसी आदर्शको हिंदु-संस्कृति कहते हैं l हमें उसी आदर्शको लक्ष्यमें रखकर उसका अनुसरण करना चाहिये l हिंदु-संस्कृतिके स्वरूपको बतलानेके लिये रामायण एक महान आदर्श ग्रन्थ है l सभीको यह ग्रन्थ पढ़ना और दूसरोंको पढ़ाना चाहियl
हमारे हृदयोंमें भगवान् छिपे हुए हैं; क्योंकि जिस विश्वाससे भगवान् प्रकट होते हैं, वह विश्वास हममें नहीं है ।

🚩ये संसार तो नि:सार है,इसका सार तो केवल भगवान ही जानते हैं l 

🔸वह कुल पवित्र हो गया🔸वो देश पवित्र हो गया 🙏जहाँ हरि के दास ने जन्म लियाl

💖हमेशा भगवान के नाम का कीर्तन और भगवान की कथा का गान होने से मन में अखंड आनंद बना रहता है

🌞भगवान के प्रेमी भक्त जहाँ भगवान के नाम का कीर्तन करते हैं, भगवान तो वहीं रहते हैं l

भगवान के वचन हैं – मेरे भक्त प्रेम से जहाँ मेरे नाम का कीर्तन करते हैं, वहां तो मैं स्वयं रहता हूँ, मैं और कहीं न मिलूं तो मुझे वहां ढूंढो l

भगवान के नाम का कीर्तन करने से संसार का दुःख दूर होता है, हर जगह महासुख भर जाता है l कीर्तन से तो वैकुण्ठ धरती पर आ जाता है l

भगवान स्वके हृदय का भाव जानते हैं, उन्हें बताना नही पड़ता l

किसी वस्तु की कामना करने वाले मनुष्य की जब एक इच्छा पूरी होती है तब दूसरी नई इच्छा उत्पन्न हो जाती है, इस प्रकार तृष्णा एक तीर की तरह मनुष्य के पेट पर चोट करती ही रहती है l

छोटे बड़े सबका शरीर नारायण का ही शरीर है l

हम भगवान् से एक पल के लिए भी अलग नही हो सकते और संसार से हमेशा हमेशा के लिए जुड़े भी नही रह सकते 

प्रत्येक स्थिति में प्रसन्न रहने की समझ सत्संग से ही आती है l

यदि भीतर सच्ची लग्न नही हो तो सत्संग की बातें पचती नही l

भगवान के भक्त को अपने आप से ये प्रश्न करना चाहिए कि आप मुझसे किसी को कोई लाभ नही हुआ, किसी की सेवा नही हुई, किसी के मन को शांति नही मिली तो मैं कैसा भक्त हुआ ?

     🌞हे प्रभु तुम्हारे नाम का कीर्तन छोड़ कर अब मैं और कोई काम नही करूँगा, अब लज्जा छोड़ कर तुम्हारे रंग में नाचूँगा l 





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